Tuesday 9 February 2016

एक सड़क

“कुरान ऐ पाक की चोरी, यह तौहीन हम कभी नहीं सहेंगे” मौलाना साहब ने आखिरी फैसला सुना दिया ..

“हिम्मत कैसे हुई, श्रीमद्भागवत गीता को हाथ लगाने की” पंडित जी की गर्जना दूर तक सुनाई दी ..

मंदिर और मस्जिद के बीच गुजरती एक सड़क ही थी मगर फासला शायद मीलों का था ..

“ये हम ने चुराई थी .. स्कूल में ड्रामा के लिए प्रोप चाहिए था ..”

“ये देखिये .. हमारे नाटक “कौमी एकता” को पहला इनाम मिला है”

 कहीं दूर से आवाज आ रही थी  “सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा
http://aajsirhaane.com/2016/01/26/week-8-yeh_gulsitaan-hamaara/

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