पार्क का बेंच, कभी एकांत मल्होत्रा के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह थी
बंदिश .. कितना अलग सा ये नाम .. खुद भी तो अलग ही थी वोह..
बंदिश से पहली बार यही मिला था, और हाँ.. आखिरी बार भी ..
“नहीं, अब कुछ नहीं हो सकता” दोनों ने कोशिश करने से पहले ही शायद हार मान ली थी ..
काफी देर बैठे रहे, एक दूसरे की उंगलियो की तरह उलझी हुई अपनी तकदीरों को समझते हुए ..
फिर चल दिए अपनी अपनी राहों पर ..
एकांत आज भी यहाँ आता है, कुछ जवाब ढूंढने, शायद कोई हवा का झोंका बंदिश को वापिस ले आये
http://aajsirhaane.com/2016/02/14/week-9-shades-of-love/
Friday 19 February 2016
क्षितिज तारा
"वो देखो, क्षितिज तारा" आकाश ने आसमान तरफ इशारा करते हुए कहा।
"हाँ। तो क्या" धरा ने पूछा।
"अरे, साल में एक बार दिखता है, और इससे जो मांगो, मिल जाता है "
"सच ??"
जवाब में आकाश को मुस्कराता देख धरा ने अपनी आँखें बंद कर ली ।
"क्या माँगा तुमने ??"
"तुम क्यों जानना चाहते हो?"
"क्योंकि मुझे तुम्हारे बारे में सब जानना है"
"यह सब तुमने बनाया है ?"
"नहीं, बिलकुल नहीं, बताओ ना "
"मैं चाहता हूँ कि इस रात कभी खत्म न हो "
"नहीं होगी" आकाश ने धरा को गले लगा लिया
http://oneframestories.com/ofs.php?id=71
"हाँ। तो क्या" धरा ने पूछा।
"अरे, साल में एक बार दिखता है, और इससे जो मांगो, मिल जाता है "
"सच ??"
जवाब में आकाश को मुस्कराता देख धरा ने अपनी आँखें बंद कर ली ।
"क्या माँगा तुमने ??"
"तुम क्यों जानना चाहते हो?"
"क्योंकि मुझे तुम्हारे बारे में सब जानना है"
"यह सब तुमने बनाया है ?"
"नहीं, बिलकुल नहीं, बताओ ना "
"मैं चाहता हूँ कि इस रात कभी खत्म न हो "
"नहीं होगी" आकाश ने धरा को गले लगा लिया
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Tuesday 9 February 2016
ट्रान्सफर
“सर, ४ करोड़ के ड्रग्स और १० आदमी, २ मारे गये, एक भी फरार नहीं .. “
“सर, हमारे 4 लोग शहीद हुए है और दो घायल है सर”
“जी सर, उन
“जी सर, मिनिस्टर एजाज़ खान का भतीजा “
“लेकिन…”
“मगर…”
चुप्पी ..
“सर, आई ऍम सॉरी .. यह मेरे लिए मुमकिन नहीं, मैं उसे नहीं छोड़ सकता.. मुझे ट्रान्सफर मंज़ूर है सर “
अजित ने रिसीवर रख दिया ..
पर्ह्लादपुर? कहाँ है यह गॉव ?? अजित सोच रहा था
रेडियो पर गाना बज रहा था “सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा”
http://aajsirhaane.com/2016/01/26/week-8-yeh_gulsitaan-hamaara/
एक सड़क
“कुरान ऐ पाक की चोरी, यह तौहीन हम कभी नहीं सहेंगे” मौलाना साहब ने आखिरी फैसला सुना दिया ..
“हिम्मत कैसे हुई, श्रीमद्भागवत गीता को हाथ लगाने की” पंडित जी की गर्जना दूर तक सुनाई दी ..
मंदिर और मस्जिद के बीच गुजरती एक सड़क ही थी मगर फासला शायद मीलों का था ..
“ये हम ने चुराई थी .. स्कूल में ड्रामा के लिए प्रोप चाहिए था ..”
“ये देखिये .. हमारे नाटक “कौमी एकता” को पहला इनाम मिला है”
कहीं दूर से आवाज आ रही थी “सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा
http://aajsirhaane.com/2016/01/26/week-8-yeh_gulsitaan-hamaara/
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