पार्क का बेंच, कभी एकांत मल्होत्रा के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह थी
बंदिश .. कितना अलग सा ये नाम .. खुद भी तो अलग ही थी वोह..
बंदिश से पहली बार यही मिला था, और हाँ.. आखिरी बार भी ..
“नहीं, अब कुछ नहीं हो सकता” दोनों ने कोशिश करने से पहले ही शायद हार मान ली थी ..
काफी देर बैठे रहे, एक दूसरे की उंगलियो की तरह उलझी हुई अपनी तकदीरों को समझते हुए ..
फिर चल दिए अपनी अपनी राहों पर ..
एकांत आज भी यहाँ आता है, कुछ जवाब ढूंढने, शायद कोई हवा का झोंका बंदिश को वापिस ले आये
http://aajsirhaane.com/2016/02/14/week-9-shades-of-love/
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