Friday 15 January 2016

आपकी बेटी

“देश की लिए मर मिटूंगा” आप अपने शब्दों के सच्चे निकले ..
मुझे याद है आपकी वोह आखिरी बात, “सुमी, हमारा बेटा आर्मी ज्वाइन करेगा, और बेटी बहुत बड़ी बैडमिंटन प्लेयर बनेगी, रिटायरमेंट के बाद तुम्हे को वर्ल्ड टूर पे ले जाऊंगा”
आप तो अपनी बेटी को देखने भी नहीं आ सके ..
जानते हो स्नेहा बिलकुल आपकी तरह जिद्दी है, कहती है “माँ, अगर आप मेरे पापा भी हो सकते हो तो मैं आपका बेटा क्यों नहीं बन सकती?”
पता है आज आपकी बेटी बैडमिंटन चैंपियन स्नेहा, लेफ्टिनेंट स्नेहा भी बन गयी, मुबारक हो ..
http://aajsirhaane.com/2016/01/15/week-07-a-salute-to-army-women/

पंछी

पंछी, बचपन में कितना बुरा लगता था यह नाम और आज जब इस रिश्ते से आजाद हुई हूँ तो पंछी की तरह उड़ना चाहती हूँ
किस की गलती थी ??
कितना रोये होंगे माँ पापा ?? दो दिन तक बरसात नहीं रुकी थी।
दादा , कैसे नज़र मिला पाये होंगे वो मेरे पापा और अपने सबसे करीबी दोस्त से, 
क्या कहा होगा ?? 
पापा या सुनील ??
तुम्हारी बेटी, मेरी बीवी या मेरी कातिल ??

आज अधूरे सपनो को कागज पर लिख कर बेचा तो लगा जेल के वह १० बरस मुझे आज़ाद कर गए

http://oneframestories.com/ofs.php?id=66