"वो देखो, क्षितिज तारा" आकाश ने आसमान तरफ इशारा करते हुए कहा।
"हाँ। तो क्या" धरा ने पूछा।
"अरे, साल में एक बार दिखता है, और इससे जो मांगो, मिल जाता है "
"सच ??"
जवाब में आकाश को मुस्कराता देख धरा ने अपनी आँखें बंद कर ली ।
"क्या माँगा तुमने ??"
"तुम क्यों जानना चाहते हो?"
"क्योंकि मुझे तुम्हारे बारे में सब जानना है"
"यह सब तुमने बनाया है ?"
"नहीं, बिलकुल नहीं, बताओ ना "
"मैं चाहता हूँ कि इस रात कभी खत्म न हो "
"नहीं होगी" आकाश ने धरा को गले लगा लिया
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